शुक्रवार, फ़रवरी 25

सबसे खतरनाक होता है

मेहनत की लूट सबसे खतरनाक नहीं होती
पुलिस की मार सबसे खतरनाक नहीं होती
गद्दारी लोभ की मुठ्ठी सबसे खतरनाक नहीं होती
 
बैठे सोये पकडे जाना - बुरा तो है
डर से चुप रह जाना - बुरा तो है
सबसे खतरनाक नहीं होता .

कपट के शोर में
सही होने पर दब जाना, बुरा तो है
किसी जुगनू की लौ में पढना - बुरा तो है
किटकिटा कर समय काट लेना - बुरा तो है
सबसे खतरनाक नहीं होता .

सबसे खतरनाक होता है
बेजान शांति से भर जाना
ना होना तड़प का, सब सहन कर लेना
घर से निकलना काम पर
और काम से घर लौट आना,
सबसे खतरनाक होता है
हमारे सपनो का मर जाना.

सबसे खतरनाक वो घडी होती है
तुम्हारी कलाई पर चलती हुई भी जो
तुम्हारी नज़र के लिए रुकी होती है .

सबसे खतरनाक वो आँख होती है
सब कुछ देखते हुए भी जो ठंडी बर्फ होती है
जिसकी नज़र दुनिया को मोहब्बत से चूमना भूल जाती है
जो चींजों से उठती अंधेपन की भाप पर फिसल जाती है
जो नित दिख रही साधारणता को पीती हुई
एक बेमतलब दोराह की भूल-भुलैया में खो जाती है.

सबसे खतरनाक वो चाँद होता है
जो हर कत्ल काण्ड के बाद
सूने आँगन में निकलता है
पर तुम्हारी आँखों में मिर्चों सा नहीं चुभता.

सबसे खतरनाक वो गीत होता है
तुम्हारे कानों तक पहुचने के लिए
जो विलाप लांघता है
डरे हुए लोगों के दरवाजों सामने
जो नसेड़ी की खांसी खांसता है.

सबसे खतरनाक वो दिशा होती है
जिसमे आत्मा का सूरज डूब जाता है.
और उसकी मरी हुई धुप की कोई फांस
तुम्हारे जिस्म के पूरब में उतर जाए.

मेहनत की लूट सबसे खतरनाक नहीं होती
पुलिस की मार सबसे खतरनाक नहीं होती
गद्दारी लोभ की मुठ्ठी सबसे खतरनाक नहीं होती

-शहीद अवतार सिंह पाश

बुधवार, फ़रवरी 16

ग्रामीण भारत की सही तस्वीर

  
अपने ग्रामीण भारत की सही तस्वीर, जिसके पास है बहुत है और कुछ लोग ऐसे है की वो किसी   तरह अपना गुजरा चला रहे है वो शायद वही लोग जानते है. ज़मीन का एक बड़ा हिस्सा कुछ लोग के पास होता है और एक छोटे से हिस्से में पूरा गाँव रहता और अपनी रोटी, कपडे और मकान का जुगाड़ करने की कोशिश करता है. वो इतनी ज़मीन में सिर्फ इतनी रोटी निकाल पाता है जिससे वो कल तक जीवित रहे. 
क्या सही मायने में भारत ने तरक्की की है या तरक्की सिर्फ कुछ लोगो की हुई है, अब समय आ गया है जब हम सभी को इन सवालों के जवाब को खोजना चाहिए???


शुक्रवार, फ़रवरी 11

भारत में आय का सही वितरण

आपने अतुल्य भारत में आय का सही वितरण जिसके द्वारा सरकार लोगों में फासले को कम करना चाहती है.
कही पर 224 रुपये दिन के तय है और वो भी पूरे नहीं मिलते है, मिलता है 70 से लेकर 150 तक जो जितना पा जाये और साथ में 12 से 15 घंटे काम, ठेकेदार की गालियाँ, उसके मार सब साथ में ही मिलता है............. और कही 700 से लेकर 3000 और (किसी-किसी की तो सोचना भी मुस्किल है) दिन का और वो भी पक्का है की मिलेगा ही मिलेगा........

गुरुवार, फ़रवरी 3

विज्ञान और सामाजिक विज्ञान मेला

स्वामी विवेकानंद विद्यालय, लोधर जो की जागृति बाल विकास समिति, कानपुर के द्वारा लोधर और आस-पास के गांवों के बच्चों को पढ़ने और उनको एक बेहतर इंसान बनाने के लिए चलाया जा रहा है, में  हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी विज्ञान और सामाजिक विज्ञान मेला का आयोजन किया जा रहा है जो की दिनांक 5  और 6 फ़रवरी को 10 बजे से शाम ४ बजे तक चलेगा. आप सभी लोग उसमे सादर आमंत्रित है. मेले में बच्चे सीखी हुई बातों में से जो उनको अच्छा लगा उसको विभिन माडल के रूप में रखेंगें.
दिनांक 7 फ़रवरी को बच्चों का सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन शाम 3 से 6 बजे किया गया.

आप सभी जरुर आये और उनका मनोबल बढ़ाएं.

ये विद्यालय आई आई टी कानपुर के पीछे नानकारी है और नानकारी के थोडा से पीछे चलेंगे तो लोधर गाँव आएगा.