बुधवार, नवंबर 30

कविता - अपने देश के नेता...

अपने देश के नेता...

है अपने देश के नेता ऐसे।
देखो खाते जनता का पैसे॥
घोटाले ये खूब है करते।
नहीं किसी से अब ये डरते॥
अरबो का है किया घोटाला।
जनता को भूखो मार डाला॥
नेता मिलकर करे पैसो का हाजमा।
स्विस बैंक में करते सारा पैसा जमा॥
अगर ये सारा पैसा वापस जाये।
देश की जनता माला-माल हो जाये॥
नेताओं की अब तो मिलकर करो दवाई
भ्रष्ट है जो भी नेता उनकी करो सफाई
है अपने देश के नेता ऐसे।
देखो खाते जनता का पैसे

लेख़क: सागर कुमार, कक्षा ७, अपना घर

शुक्रवार, नवंबर 25

एक छोटी सी कहानी

दो व्यक्ति एक नाव पर सवार थे.  उनमें से एक अचानक नाव पर पड़ी खुदाल लेकर नाव में छेद करने लगा. दुसरे ने उसे टोका - " अरे यह क्या कर रहे हो ? ". नाव खोद रहे व्यक्ति ने गुस्से से कहा - " अपनी साइड में छेद कर रहा हु, तुमसे क्या मतलब ".
ये कहानी मैंने दानिक जागरण में पढ़ी थी.... 

बुधवार, नवंबर 16

याद आते है वो दिन.......


 
याद आता है वो दिन जब हम सब भी ऐसा ही कुछ किया करते थे, और अब कहते है की क्या यार सुई से डरते हो......

मंगलवार, नवंबर 8

मेरी कविता - छोटा बच्चा

अभी तो हूँ एक  छोटा बच्चा, 
लक्ष्य मगर है मेरा अच्छा...
पढ़ लिख कर अच्छा इंसान बनूँ ,
अपने देश के काम आऊ...
-- मैदुल  
अपना स्कूल
पनकी पड़ाव